पीटीआई | Aug 20, 2014, 08.26PM IST
पीटीआई, नई दिल्ली
डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन यानी DRDO को तमाम कार्यक्रमों में पिछड़ने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सख्त संदेश देते हुए कहा कि अब ‘चलता है’ वाला रवैया बिल्कुल नहीं चलेगा और इसे छोड़ना ही होगा। मोदी ने कहा कि डिफेंस रिसर्च बॉडी को अब समय से पहले काम पूरा करने की योजना बनानी होगी तभी हम विश्व में अग्रणी बन पाएंगे।
रक्षा क्षेत्र में लगातार उन्नत होती टेक्नॉलजी पर फोकस करते हुए मोदी ने कहा कि ऐसे उत्पाद बाजार में आ जाते हैं तो वर्तमान हालात से दो कदम आगे होते हैं और हम तब तक उनका अनुमान भी नहीं लगा पाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि भारत में टैलंट का अभाव है लेकिन ‘चलता है’ वाला रवैया हमारे पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने डीआरडीओ से कहा कि वे यह तय करें कि क्या वे हालात के मुताबिक तैयारी कर पाने में सक्षम हैं और क्या वे विश्व के समक्ष कोई अजेंडा रख सकते हैं?
उन्होंने कहा कि हम विश्व को राह दिखाकर ही लीडर बन सकते हैं न कि उनके पदचिह्नों पर चलकर। यह समय की मांग है और विश्व हमारे लिए इंतजार नहीं करेगा। हमें समय से आगे चलना होगा। इसलिए बेहतर यही होगा कि जो हम करें उसे कठिन परिश्रम से समय से पहले पूरा करने की आदत बनाएं। ऐसा न हो कि किसी प्रॉजेक्ट की रूपरेखा 1992 में बने और 2014 में भी हम कहें कि इसे पूरा करने में थोड़ा और समय लगेगा। उन्होंने कहा कि अगर विश्व किसी प्रॉजेक्ट पर मिशन 2020 के तहत काम कर रहा है तो हमें उसे 2018 तक पूरा कर लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ग्लोबल समुदाय को ध्यान में रखकर खुद में बदलाव लाएं। हालांकि मोदी ने सीधे नाम नहीं लिया लेकिन डीआरडीओ के तमाम प्रॉजेक्ट मसलन लाइट कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट ‘तेजस’, नाग मिसाइल, लंबी दूरी तक सतह से हवा में मार करनेवाली मिसाइल प्रॉजेक्ट और एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग ऐंड कंट्रोल सिस्टम प्रॉजेक्ट कई सालों से लटके पड़े हैं, जिस कारण इनकी लागत भी कई गुना बढ़ गई है। मोदी ने कहा कि लोगों को उनसे ही उम्मीद होती है, जो उन्हें पूरा कर सकते हैं। मुझे डीआरडीओ से ऐसी ही उम्मीद है क्योंकि मुझे पता है कि डीआरडीओ में साबित करने की क्षमता मौजूद है।
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