दैनिक जागरण – वर्ष 18 अंक 254 देहरादून, मंगलवार 13 जनवरी 2015 नगर संस्करण पृष्ठ 5
- डीआरडीओ के अग्नि संबंधी विशेषज्ञ केंद्र ‘सिफीस’ को किया जांच से दरकिनार
- मानकों के विपरीत घटना के एक सप्ताह बाद भी पुलिस को नहीं दी गई सूचना
- जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति, महज 20 करोड़ रुपये आंका गया नुकसान
सुमन सेमवाल, देहरादून रक्षा अनुसंधान के सर्वोच्च डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) की प्रयोगशाला डिफेंस इलेक्ट्रानिक्स एप्लीकेशंस लैबोरेटरी (डील) में संदिग्ध परिस्थिति में अग्निकांड जैसी गंभीर घटना होना और उसकी जांच में सिर्फ खानापूर्ति करना कई सवाल खड़े करता है। रविवार चार जनवरी को घटना होने के बाद अब तक नियमानुसार पुलिस को भी सूचना नहीं दी गई है। वहीं, घटना के आठवें दिन जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, तो उसमें विस्तृत अध्ययन की जगह महज लीपापोती दिख रही है। यहां तक कि नुकसान भी महज 2.20 करोड़ रुपये के करीब आंका गया है, जबकि अग्निकांड की भेंट चढ़े प्रयोगशाला के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफेयरेंस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कंपेटिब्लिटी (ईएमआइईएमसी) चैंबर में लगभग एक करोड़ रुपये की लागत से हाल ही में जर्मनी से मंगाया गया ईएमआइ टेस्ट रिसीवर भी था।
गुरुवार को जांच कमेटी की तरफ से डील निदेशक को सौंपी जांच रिपोर्ट में आग की पड़ताल महज साक्ष्यों के आधार पर की गई है। जबकि आग जैसी घटनाओं की फोरेंसिक जांच के लिए डीआरडीओ के पास दिल्ली में सेंटर फॉर फायर, एक्सप्लोसिव एंड एन्वायरमेंट सेफ्टी (सिफीस) जैसी संस्था मौजूद है। कुछ समय पहले जब डीआरडीओ की ही लैफ्टिक लैब में ‘कॉयल लेजर’ प्रोजेक्ट में आग लगी थी तो सिफीस के अधिकारी को जांच में शामिल किया गया था। डील में अग्निकांड की जांच के दौरान ईएमआइईएमसी चैंबर के तकनीकी अधिकारी ने सिफीस के अधिकारी को भी जांच में शामिल करने का सुझाव दिया था, मगर इसे दरकिनार कर दिया गया। यही नहीं चैंबर में ऑप्टो इलेक्ट्रानिक्स फैक्ट्री (ओएलएफ) के टी-90 टैंक की फायर कंट्रोल यूनिट को भी टेस्टिंग के लिए लाया गया था। यह अभी विकास की स्टेज में था, जिस पर बड़ी धनराशि व श्रम व्यय हुआ था। इसके साथ ही चैंबर में दर्जनों महंगे उपकरण आग की भेंट चढ़ गए। बावजूद इसके जांच को बेहद हल्के में लिया गया।
- इन प्रमुख उपकरणों को पहुंचा आग से नुकसान
- हाल ही में जर्मनी से मंगाया गया ईएमआइ टेस्ट रिसीवर
- टी-90 टैंक की फायर कंट्रोल यूनिट के करीब आधा दर्जन डिजिटल ओस्लो स्कोप
- 12 से अधिक एंप्लिफायर
- विभिन्न फ्रीक्वेंसी के स्टैंड एंटीना व दर्जनों अन्य उपकरण
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चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को बनाया गवाह
रविवार को हुई घटना से पहले जब कार्यालय शुक्रवार शाम को बंद हुआ, उस समय एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यालय से कोसों दूर था, लेकिन आश्चर्यजनक यह कि उसे कार्यालय में उपस्थित दिखाया गया है और उससे इस संदर्भ में हस्ताक्षर लिए गए हैं कि उसकी मौजूदगी में संबंधित कक्षों को बंद कर दिया गया था।
फिलहाल जांच कमेटी की रिपोर्ट में सत्य माना जा रहा है। रिपोर्ट को डीआरडीओ के महानिदेशक को भेजा जा रहा है। जहां से उसे रक्षा मंत्रलय को भेजा जाएगा। यदि रक्षा मंत्रलय चाहेगा तो दोबारा जांच कराई जा सकती है। यह सच है कि अभी घटना की पुलिस रिपोर्ट नहीं की गई।’ आरसी अग्रवाल, निदेशक, डील
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