नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान में 2008 में हुए इंजीनियर भर्ती घोटाले का मामला
संवाद सहयोगी, देहरादून: नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान(एरीज) में वर्ष 2008 में हुए इंजीनियर भर्ती घोटाले के आरोपी संस्थान के पूर्व निदेशक राम सागर ने मंगलवार को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश अमित सिरोही की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। उनके साथ एक अन्य आरोपी टॉर स्टील रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया दिल्ली के मुख्य सलाहकार अभियंता (चीफ कंसल्टिंग इंजीनियर) एएल संधल ने भी अदालत में समर्पण किया। अदालत ने दोनों को 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया। घोटाले में कुल पांच आरोपी हैं।
वर्ष 2008 में संस्थान की ओर से इंजीनियर ‘बी’ के पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाले गए थे। इन पदों पर कुल 23 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। संस्थान इंजीनियर ‘बी’ पदों पर तो कोई चयन नहीं किया, अलबत्ता इंजीनियर ‘सी’ पद पर एक भर्ती कर दी। इस भर्ती में उन पर भाई-भतीजावाद का आरोप लगाते हुए नैनीताल निवासी डीएन भट्ट व अल्मोड़ा निवासी नीरज नयाल ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की।
इस पर अदालत ने पहले केंद्रीय सतर्कता आयोग को जांच के आदेश दिए। बाद में आयोग की जांच से असंतुष्ट हो मामला सीबीआइ को सौंप दिया। मामला सामने आने पर रामसागर निदेशक पद से हटा दिया गया। सीबीआइ ने नौ मई 2013 को न्यायालय में संस्थान के निदेशक राम सागर निवासी 0610, प्रथम ई-क्रास रोड कोरामंगलम बैंगलूरू और टॉर स्टील रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के अभियंता एएल संधल निवासी मकान नंबर 01, हौज खास नई दिल्ली समेत पांच आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। तब से आरोपियों को पेश होने के लिए नोटिस दर नोटिस भेजे जा रहे थे। इसी बीच रामसागर व एएल संधल ने न्यायालय में आत्म समर्पण कर जमानत की अर्जी लगाई। मंगलवार को अदालत ने जमानत अर्जी खारिज कर दी।
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