नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सेना के लिए खरीदे गए, किसी भी तरह की जमीन पर चलने योग्य टाट्रा ट्रकों की खरीद में घोटाले के आरोप में सीबीआइ ने केस दर्ज कर लिया है। इसके लिए टाट्रा के मालिक रवि ऋषि समेत भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड [बीईएमएल], सेना और रक्षा मंत्रालय के अज्ञात अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है। केस दर्ज करने के साथ ही सीबीआइ ने दिल्ली और बेंगलूर के चार ठिकानों की तलाशी ली।
मजेदार बात यह है कि टाट्रा ट्रक घोटाले में एफआइआर दर्ज करने के लिए सीबीआइ ने एक पुरानी शिकायत का सहारा लिया है। पिछले साल यह शिकायत बेंगलूर की सीबीआइ शाखा में की गई थी। इस शिकायत पर जांच एजेंसी ने कोई ध्यान नहीं दिया। इन ट्रकों की खरीद के मामले में सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह द्वारा 14 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश किए जाने जानकारी सामने आने के बाद सीबीआइ को शिकायत की सच्चाई पर भरोसा हुआ और उसके आधार पर एफआइआर दर्ज की गई।
एफआइआर दर्ज करते ही सीबीआइ ने टाट्रा के मालिक रवि ऋषि को पूछताछ के लिए तलब कर लिया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शुरुआती पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया गया है, पर छापे में जब्त हुए दस्तावेजों की पड़ताल के बाद उन्हें फिर से पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऋषि की गिरफ्तारी पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। इस मामले में ऋषि के साथ-साथ उनकी कंपनी टाट्रा को भी आरोपी बनाया गया है।
वैसे टाट्रा ट्रकों को सेना 1986 से खरीद रही है। सीबीआइ की एफआइआर में 1997 से अब तक खरीदे गए ट्रकों को जांच के दायरे में रखा गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने साफ किया कि जरूरत पड़ने पर इससे पहले हुई खरीद की भी जांच की जा सकती है। एफआइआर के अनुसार सेना, बीईएमएल और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर रवि ऋषि टाट्रा ट्रकों के लिए बहुत ज्यादा कीमत ले रहा था। सीबीआइ यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि पिछले 15 सालों के दौरान इस घोटाले से सरकारी खजाने को कितने करोड़ की चपत लगी।
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