नई दिल्ली, मदन जैड़ा
Wed, 22 Aug 2018
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक प्रयोगशाला की जरा सी चूक से सरकार को बीस करोड़ रुपये की चपत लग गई। चूक यह थी कि प्रयोगशाला ने ब्रिटेन से मंगाई गई मशीन को प्राप्त करने के बाद खोलकर चेक नहीं किया। मशीन की पैकिंग तीन महीने के बाद खोली गई तो वह टूटी हुई निकली। लेकिन इस बीच उसका बीमा कवर खत्म हो गया था।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने इस रवैये पर चिंता जाहिर की है। सीएजी ने इस मामले में कहा कि ऐसी मशीनों के आयात के मामले में सावधानी बरती जाए और बीमा या क्षति की जिम्मेदारी तय करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश बनें ताकि इस प्रकार करोड़ों की चपत सरकार को न लगे।
दरअसल, यह मामला डीआरडीओ की देहरादून स्थित प्रयोगशाला इंस्ट्रूमेंट रिसर्च एंड डवलपमेंट इस्टेबलिसमेंट (आईआरडीई) का है। उसने ब्रिटेन से 19.68 करोड़ रुपये की पोलिशिंग मशीन खरीदी। मार्च 2016 में इसको लाने का जिम्मा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बॉमर एंड लॉरी को सौंपा। चूंकि मशीन को लाने के दौरान क्षतिग्रस्त होने और चोरी का खतरा रहता है, इसलिए बॉमर एंड लॉरी ने ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से इसका बीमा करा लिया।
Finance Ministry should take cognizance of the matter.
Responsibility should be fixed and loss to be compensated from the salary of the concerned