Updated: Sat, 23 Aug 2014 04:11 PM (IST) | Published: Sat, 23 Aug 2014 03:50 PM (IST) By: Editorial Team – नयी दुनिया
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने पनडुब्बी रोधी युद्धक पोत आईएनएस कमोर्ता को आज नौसेना में शामिल कर लिया। मगर, यह मध्यम दूरी में हमला करने में सक्षम सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (सैम) और एडवांस्ड लाइट टोव्ड ऐरे सोनार्स (अल्तास) से महरूम होगी। इन दोनों की आपूर्ति रक्षा शोध एवं अनुसंधान संस्थान (डीआरडीओ) करने में असफल रहा है।
देश में रक्षा प्रणाली के क्षेत्र में शोध करने वाले एक मात्र संस्थान डीआडीओ की यह पहली नाकामी नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 अगस्त को मुंबई में आईएनएस कोलकाता को सेवा में शामिल किया था। वह भी दो अहम सुरक्षा प्रणालियों सैम आल्तास से महरूम था। इस मामले में बेहद खफा मोदी ने डीआरडीओ को नोटिस भेजा है।
छोड़ दें ‘चलता है’ वाला रवैया
रक्षा क्षेत्र में 49 फीसदी विदेशी निवेश को स्वीकृति देते हुए मोदी ने इस सुस्त संसथान से निजी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार होने के लिए कहा है। देश की सुरक्षा व्यवस्था में लगे अधिकारियों ने बताया कि मोदी ने रक्षा मंत्री से इस संगठन की विस्तृत समीक्षा करने को कहा है। साथ ही कहा है कि यदि जरूरत हो तो वह श्वेत पत्र जारी करें। मोदी ने 20 अगस्त को संस्थान के वार्षिक पुरस्कार समारोह के मौके पर डीआरडीओ को कड़ा संदेश देते हुए कहा था कि अधिकारी ‘चलता है’ वाला रवैया छोड़ दें।
डीआरडीओ में शुरू किया सफाई अभियान
प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में शामिल होने से पहले डीआरडीओ की सफाई का अभियान शुरू कर दिया था। उन्होंने सेवानिवृत्त होने वाले वैज्ञानिकों को सेवा विस्तार देने की समीक्षा करने वाली कमेटी को खत्म करने का आदेश दिया था। कमेटी कैबिनेट की नियुक्ित समिति को अपनी सिफारिशें भेजती थी।
डीआरडीओ के डायरेक्टर जनरल अविनाश चंदर सहित कम से कम 15 शीर्ष वैज्ञानिक सेवा विस्तार पर काम कर रहे हैं। चंदर दो वर्षों के सेवा विस्तार के बाद फिलहाह कॉन्ट्रेक्ट पर काम कर रहे हैं। मजेदार बात यह है कि उनके पास सचिव (रक्षा) शोध व अनुसंधान, डायरेक्टर जनरल डीआरडीओ और रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के पद हैं। एक अनुमान के अनुसार हर साल करीब छह से आठ लोग डीआरडीओ में सेवा विस्तार पाते हैं। प्रधानमंत्री इससे खुश नहीं हैं।
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