जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : रासायनिक हमले व हथियारों की जांच के लिए खरीदे गए विदेशी उपकरण सेना की फांस बन गए हैं। सारा पेंच उपकरणों की खरीद से पहले और बाद में कराए गए परीक्षणों के नतीजों को लेकर है। कंपनी और सेना मुख्यालय के बीच सौदे की परफार्मेस बैंक गारंटी को मामले के निपटारे तक बढ़ाने पर रजामंदी बन पाई है।
सूत्रों के मुताबिक उपकरणों की खरीद से पहले अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशाला में हुए परीक्षणों को स्वीकार कर लिया गया था। हालांकि, बाद में सेना ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की प्रयोगशाला (डीआरडीओ) में भी इसकी जांच की। डीआरडीओ के नतीजे ही इस विवाद की जड़ हैं, क्योंकि इसके बाद ही सेना ने उपकरणों को तापमान और आद्र्रता के पैमानों पर निष्प्रभावी करार दिया।
उपकरण निर्माता फिनलैंड की कंपनी इनवायरॉनिक्स डीआरडीओ की प्रयोगशाला में हुए परीक्षण को चुनौती दे रही है। कंपनी अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशाला में इसके परीक्षण को लेकर भी हीला-हवाली कर रही है। यह सवाल अहम है कि आखिर किन परीक्षणों के आधार पर उपकरणों की खरीद को हरी झंडी दी गई। साथ ही खरीद से पहले डीआरडीओ प्रयोगशाला में परीक्षण क्यों नहीं किए गए?
इस सवालों पर सेना मुख्यालय की चुप्पी के बीच करोड़ों रुपये की खरीद अब बेकार हो गई है। भारत ने 2009 और 2010 में करोड़ों रुपये की लागत से जहरीले रसायनों का पता लगाने वाले उपकरण खरीदे थे।
Budgetary Price approximately $9,500
Purchase Price – Rs 100000/- each in bulk purchase (more than $ 16000/each)
Army has purchased instrument ICAD Chempro 100i (Qty: 999 No’s, Make: Environics) against contract nos B/28704/NBC-4C/ICAD/GS/WE-6 Dated 23 Jun 2009 and B/28704/NBC-4C/Option/ICAD/GS/WE-6 dated 26 Mar 2010 for approximately 100 Crore (INR). This instrument detects the chemical warfare agents and is of utmost importance for the defence services. Having cleared the payment after the delivery, it was found that all these instruments failed to perform as per the specification and have technical problems. It is evident from the letter enclosed that performance related issues were raised in Nov 2012 and since then no action has been taken. Few officials are trying to cover up the issue by changing the specification instead of taking 100 Crore back.
As per the information gathered from the sources, these instruments were first purchased by M P Kaushik from DRDE Gwalior (A DRDO Laboratory and Nodal Agency in Chemical Warfare). Satisfactory working certificate were given to the company and payment was cleared. Later Army gave the contract. It seems that with the help of M P Kaushik few official of army has executed this act.
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