सेवा में 16 जुलाई 2016
माननीय श्री मनोहर पर्रिकर
रक्षा मंत्री , भारत सरकार
कक्ष – 104, साउथ ब्लॉक
नई दिल्ली – 110011
विषय: देश भ्रष्टाचार मुक्त डीआरडीओ के लिए प्रतीक्षारत
जब मोदी जी ने सत्ता संभाली तो देश ने सोचा अब बदलाव की बयार आएगी और इंतजार शुरू हो गया। रक्षा मंत्री की कमान एक एक्सपर्ट वकील को सौंप दी और देश बदलाव का इंतजार करते रह गया। अचानक मोदी जी एक निहायत ही ईमानदार छवि वाले तथा तकनीकी सक्षम व्यक्तित्व को देश की रक्षा मंत्रालय की कमान सौंप दी। अब देश की अपेक्षाएं काफी बढ़ गयी और पर्रिकर साहेब ने उनके अनुरुप बहुत से महत्तवपूर्ण निर्णय लिए और बदलाव को दिशा दी।
उसी अपेक्षाएं से देश ने रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान संस्थान में व्याप्त करप्शन व् अक्षमता को दुरस्त करने की उम्मीद पर्रिकर साहेब से की, और पर्रिकर साहेब ने बहुत से महत्तवपूर्ण निर्णय लिए
- जैसे 60 वर्ष के बाद वैज्ञानिकों का सेवा विस्तार बंद करना,
- अविनाश चन्द्र का कॉन्ट्रैक्ट नियुक्ति रद्द करना,
- डी जी व् रक्षा सलाहकार के पद का विकेंदीकृत कर दो पदों में करना आदि।
परन्तु रक्षा अनुसंधान संस्थान में व्याप्त करप्शन व् अक्षमता को काबू करने में पर्रिकर साहेब को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा ।
डीआरडीओ के दिगज्ज ब्लफ मास्टरों के सामने पर्रिकर साहेब का तकनीकी ज्ञान सब धरा का धरा रह गया है। जिस भी करप्शन व् अक्षमता पर पर्रिकर साहेब आदेश देते हैं उन सब आदेशों को डीआरडीओ के ये दिगज्ज ताक पर रख देते हैं और पर्रिकर साहेब को एक नई कहानी में उलझा देते है।
पर्रिकर साहेब को को कई वैज्ञानिकों ने मिल कर व् पत्र के माध्यम से डीआरडीओ में व्याप्त करप्शन व् अक्षमता की जानकारी समय समय पर दी और पर्रिकर साहेब ने उन्हें तुरंत संज्ञान में भी लिया और उसको ठीक करने के लिए उचित आदेश भी दिए परन्तु डीआरडीओ के दिगज्ज ब्लफ मास्टरों ने उन सब आदेशों में पानी फेर दिया और उनका सबसे बड़ा हथियार है यह कि हमें ये सब देश की सुरक्षा के हित में करना पड़ता है और इन सब कार्यो में कोई निजी लाभ या कोई विद्वेष भावना नहीं है और पर्रिकर साहेब उनका विश्वास कर सबूतों को दरकिनार कर रहे है पर कब तक ?
देश की सुरक्षा के हित में चाहे डीआरडीओ के बजट का 27% का एसपीआईसी (SPIC) द्वारा मनमाने ढंग से ठिकाने लगाने का कार्य हो
या CIAR बैंगलोर द्वारा करोडो रुपये का सॉफ्टवेयर की खरीद हो जिसकी फिलहाल सर्विसेस को अगले 10 सालो में भी जरुरत न हो।
और इन सबकी तात्कालिकता (urgency) ऐसी दिखाई जाती है की टीपीसी भी होटल में करी जाती है और सभी उच्च अधिकारी द्रुत गति से युद्ध स्तर पर फाइल का निस्तारण करते है।
और दूसरी बात जो ये डीआरडीओ के दिगज्ज ब्लफ मास्टर पर्रिकर साहेब को समझाते है कि शिकायतकर्ता ये शिकायत व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए की है। यंहा पर हमारे पर्रिकर साहेब गच्चा खा जाते है और इनकी बातो में आ कर शिकायत की मेरिट को भूल जाते है शिकायत साथ लगे सबूत व् तथ्य नजरअंदाज कर दिए जाते है और देश करप्शन व् अक्षमता की लड़ाई में एक कदम पीछे हो जाता है।
इसमें समझने वाली बात ये है की जो सबूत एक अनपढ़ भी समझ सकता है उनको कैसे ये डीआरडीओ के दिगज्ज ब्लफ मास्टर पर्रिकर साहेब के सामने झूठा साबित करते है और पर्रिकर साहेब किन कारणों से कुछ नहीं कर पाते, यह निहायत ही समझ से परे है।
उदाहरण के लिए डीएमएसआरडीइ, कानपुर के करप्शन केस जिसमे में पर्याप्त से अधिक सबूत होते हुए भी डॉ अरविन्द सक्सेना पूर्व निदेशक को रक्षा मंत्रालय के विजिलेंस विभाग ने आखरी तारीख को 31 जुलाई 2015 क्लीन चिट दी।
जबकि पर्रिकर साहेब ने डॉ अरविन्द सक्सेना के खिलाफ कार्यवाही के आदेश बहुत पहले ही दे दिए थे । परन्तु उन आदेशों का पालन पर तत्कालीन डीओपी, डीआरडीओ डॉ ऐ के सिंह द्वारा ऐसे घुमाया गया ताकि 31 जुलाई 2015 (डॉ अरविन्द सक्सेना सेवा निवृत्ति दिवस ) तक पर्रिकर साहेब के आदेशों को बर्फ में दबाया जा सके।
यह एक बहुत ही विचित्र उदहारण है कि जिस निदेशक को रक्षा मंत्रालय के विजिलेंस विभाग ने क्लीन चिट दी उसके मातहत 39 वैज्ञानिकों व् अधिकारियो को उन कार्यो के लिए शो कॉज नोटिस दिया जाता है कि जिन कार्यो को उन्होंने उस निदेशक के निर्देश के अनुसार उसी निदेशक की मातहती किया था। अब इन वैज्ञानिकों पेंशन रोकी जा रही है, प्रमोशन रोके जा रहे रहे और प्रशासनिक कार्यवाही की तैयारी की जा रही है।
अगर डॉ अरविन्द सक्सेना के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे तो इन 39 वैज्ञानिकों व् अधिकारियो के खिलाफ कार्यवाही क्यों हो रही है ,
सिर्फ इसलिए की इन वैज्ञानिकों व् अधिकारियो के पास डॉ ऐ के सिंह जैसा करप्ट मित्र नहीं है जिसने की डॉ अरविन्द सक्सेना के पक्ष में अपने पद का दुर्प्रयोग करते हुए फर्जी एफिडेविट तक कोर्ट में सबमिट करे। ये सब डीआरडीओ के वैज्ञानिकों व् अधिकारियो द्वारा सविधान का मजाक उड़ने जैसा है।
डॉ जी एस मलिक सी सी आर एन्ड डी, जब डायरेक्टर डीटीआरएल थे तो उन्होंने अपने मातहत वैज्ञानिक श्री पटनायक की एलटीसी में धोखाधडी करने की सबूत के साथ शिकायत करी थी, परन्तु जब की वो अब डीआरडीओ के विजिलेंस के हेड का भी कार्य संभाल रहे है पर वैज्ञानिक श्री पटनायक व् उनके साथियो पर कोई कार्यवाही तो नहीं की, बल्कि उल्टा उन्हें प्रमोशन आदि दिलाने में भरपूर सहयोग भी दिया । इस कृपादृष्टि का कारण तो सिर्फ डॉ जी एस मलिक को ही पता होगा कि उनका इसमें कितने निहित स्वार्थ सिद्ध हुए।
दूसरी ओर डीआरडीओ में एस सी / एस टी, अल्पसंख्यकों व महिलाओं के शोषण के मामले दिनों दिन बढ़ते जा रहे है।
सिर्फ एस सी कमीशन, अल्पसंख्यक कमीशन, व् डीआरडीओ से पिछले 2 सालो के कंप्लेंट संख्या मांग कर देखे। पर्रिकर साहेब यदि आपने कोई सख्त निर्णय नहीं लिया तो डीआरडीओ अतिशीघ्र भविष्य के गर्त में समा जायेगा।
- डीपास लैब तिमारपुर दिल्ली में दो महिलाओं के शोषण के मामले एक अल्पसंख्यक को प्रताड़ित करने के मामले पिछले दो वर्षो से लंबित चल रह है।
- एएसएल हैदराबाद के पी एच डी महिला का शोषण का मामला आपको विदित ही है।
- मसूरी स्थित आई टी एम में श्री विपिन जैन प्रशासनिक अधिकारी द्वारा संविदा कर्मी महिला के शोषण मामला वो भी ऐसे संस्थान में जंहा डीआरडीओ के वैज्ञानिकों व् अधिकारियो को व्यवहार, मानव संसाधन, परियोजना प्रबंधन आदि का प्रशिक्षण देने का कार्य किया जाता है।
- देहरादून स्थित आईआरडीई संस्थान में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी का काम सँभालने वाले तकीनीकी अधिकारी श्री वी के अरोड़ा के विररुद्ध भी एक महिला वैज्ञानिक ने कार्यालय क्षेत्र में दुर्व्यहार का आरोप लगाया है और विडंबना यह है कि डीआरडीओ के अक्षम अधिकारियो के कारण महिला वैज्ञानिक को एससी कमीशन में जाना पड़ा।
तीसरा डीआरडीओ का रसातल में जाने का कारण है मैन पवार सलेक्शन में गुणवत्ता की अनदेखी। डीआरडीओ में नियुक्तियों में बड़ा गोरख धन्दा चल रहा है। बिना योग्यता के सिर्फ पैसे के बल पर नियुक्तियों पर जोर है। और इसके लिए कोई सबूत की जरूरत नहीं है मात्र पिछले तीन साल की नियुक्तियों का पुनः परीक्षण करा लिया जाये तो सारी स्पष्ट जाएगी। नियुक्तियों में फ़र्ज़ी शैक्षिक दस्तावेजों का होना एक आम बात है इस सिलसिले में डीआरडीओ में लगभग 67 कम्प्लेंट्स लंबित है तथा 27 केस कोर्ट में चल रहे है। ऐसे लोगो की नियुक्ति हो रखी हैं जिन्हें विषय से सम्बंधित ज्ञान नहीं है। एक ही जगह के पांच से दस लोगो की नियुक्ति होना कोई अविश्वसनीय संयोग नहीं है। ऐसे बहुत सी वजह हैं जिनसे इन डीआरडीओ के दिग्गज वैज्ञानिकों की योग्यता का पता चलता है।
चौथा बड़ा कारण है कि विज्ञानं के अलावा इन डीआरडीओ के इन बड़े वैज्ञानिकों में आपको अन्य कार्यो में इनकी महारत हर जगह दिखाई देती और एक स्पेशल जगह है कंस्ट्रक्शन आप इनसे पिछले दो सालो में कंस्ट्रक्शन कार्यो का विवरण मांग ले तो आपको आश्चर्य होगा कि डीआरडीओ के इन बड़े वैज्ञानिकों ने अपने कितने मैन ऑवर इन कंस्ट्रक्शन कार्यो में लगाए हैं जितनी शिद्दत से डीआरडीओ में कंस्ट्रक्शन कार्यो मेहनत की जाती हैं वैसी मेहनत और लगन प्रोजेक्ट के कार्यो में नहीं दिखती। ऐसा नहीं है की इसकी जानकारी आपको नहीं है क्योंकि कुछ समय पूर्व आपने डीआरडीओ को अन्य विभागों के कंस्ट्रक्शन कार्यो को करने से मना किया था और सही भी था डीआरडीओ का मुख्य उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में अंसुधान है न कि कंस्ट्रक्शन, परन्तु आप इन्हे कंस्ट्रक्शन प्रेम से दूर नहीं रख सकते।
इन सब तथ्यों देखते हुए लगता है की देश को किसी हृदय परिवर्तन का इंतजार करना पड़ेगा जब पर्रिकर साहेब सही मायनों में इन डीआरडीओ के दिगज्ज ब्लफ मास्टरों के असलियत को समझ पाएंगे क्योंकि पिछले लगभग 30 सालों से तो कोई रक्षा मंत्री इनसे पार् नहीं कर पाये। और यही कारण है कि 56 वर्षो में हम रक्षा क्षेत्र अंसुधान में इतनी प्रतिभाओं के होते पिछड़ से गए।
ये बड़े गर्वे की बात है आज देश का रक्षा मंत्री एक आई आई टी से निकला हुआ योग्य व्यक्ति है जिससे देश को अपेक्षा है कि रक्षा क्षेत्र में तकनीकी विकास कार्यो में दिनों दिन बढ़ोतरी हो और देश आत्मनिर्भरता की ओर बड़े कदम बढ़ाए।
माननीय पर्रिकर साहेब कुछ डीआरडीओ के सम्बन्ध में समय निकाल कर उचित निर्णय लीजिए ताकि ये डीआरडीओ के दिगज्ज ब्लफ मास्टरों को अपनी मनमानी करने में रोक लगे।
- रही सबूतों की बात जब चाहे मंगा लीजिए हमेशा देश हित में हाजिर है।
धन्यवाद
प्रभु डंडरियाल
21- सुंदरवाला, रायपुर
देहरादून – 248008
9411114879, 0135-2787750
prabhudoon@gmail.com, www,corruptionindrdo.com
Jai says
Barbad Gulasta Karne ko Ek hi xxxx kafi hai
par yaha to
Har Shakh pe xxxx bathe hai Anjaame Gulasta kya hoga.
Pankaj says
Corruption carried by Sh raja babu
Respected Prabhu, This pretains to corruption carried out by Sh raja babu, at SPIC.
Role of SPIC is to provide the communication system for passing the information. For this, communication Hardware and software are required.
SPIC role was to provide the NBC shelters. NBC shelter are nothing but consisting of racks and network equipment for providing the communication. Let us say, we want to send messaage to another location, like in our telephone services, phone lines are there, In this SPIC uses fiber and satellite communication. They are just nothing only it provides the medium for voice and data. SPIC maintains multiple backup, hence different types of medium like fiber optics line, satellite communication and other medium are recommended for passing the data. Now for passing the data, you need network equipment like modem, router and switches are used. If one sees, router, switch and modem are products available in the market. They are commerically available. raja babu puts the order of shelter that is consisting of routers, modem and switch. If one purchase directly from these vendor in open market (Sir PM’s policy), the cost comes to Rs 105 Cr. Sir, if you want, I can send you shelter and equipment details. You also can verify from the vedor. SPIC has paid Rs 328 Cr to PSU for these shelters. The loss is Rs 223 Cr to Govt. In this Rs 223 Cr, Rs 73 Cr are Raja babu and one of his company M/s Dass Hitachi & associates. These mobseters of traitors does not stop here. Sir, the equipment that have been used in M/s Dass Hitachi & associate shelter were never purchased. raja babu with help of SPIC scientists stole these equipments from SPIC and gave free of cost to M/s Dass Hitachi & associate and wrong billing was provided to govt of india. raja babu shown these as critical equipment and our honorable NSA Sh Ajit Doval was shown wrong information and in good faith, NSA sir cleared this.
Please ask for the details from SPIC (raja babu), how much purchasing of communicaton equipment has been done in last 5 years and how much is being acutally used and consumption certificate.
Tendering process followed and name of bidders. It will give you stunning result. Most of raja babu companies.
In his previous posting at Project AD, Hyerdabad, raja babu played dirty game in Project AD . Raja babu purchased equipment from SEC industries Please ask for the details from Project AD), vendor recommended and enquire about relationship with raja babu.
How it is possible, for one shelter / equipment ISRO is paying Rs 30 Lakhs,whereas SPIC (Sandeep Sharam) are paying Rs 1.5 Cr.
The bribe earned by raja babu through M/s Dass Hitachi & associate is being used by raja babu to promote his personal interest.
Further you see the fun, he is the kingpin of corruption and with the help of another corrupt scientist satish readdy, he is going to become Director SPIC. In DRDO, Director, CCs and DGs are selected on the basis, how much corruption he has done.
In this Raja babu and satish reddy are topper and they are helped by sandeep sharma, jaya shanti and team. In another govt office, if one is caught taking bribe, he feels ashamed and their family also feels much ashamed, in case of DRDO (SPIC), their market value increases (raja babu and Satish Readdy). THey become eligible for high post.
You see the fun, how satish readdy is SATORM and DG (MSS)…. He has become DG (MSS) so that raja babu can become officially Director SPIC…
Prabhuji, please write to CAG for doing enquiry against the purchases done by SPIC in the last 10 years by DONS of corruption like Vasudeva, Rajababu, satish kumar… You will be stunned to see the findings…
Copy to:
Pankaj says
Dear Prabhu ji,
You are wasting your time… DRDO management is thick skin..Nothing is going to happen… They are the master in manipulating the financial irregularities… Raja babu and satish readdy wil manage it …