श्री आर सी अग्रवाल के कुछ बड़े जागीरदार वाले कार्यो का अवलोकन
- सबसे बड़ा जागीरदारवाला काम अपने अक्षम गैर योग्य अग्रवाल बंधू श्री आर के अग्रवाल को कई सक्षम व् योग्य वैज्ञानिको की योग्यता व् वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए श्री आर के अग्रवाल द्वारा फ़र्ज़ी कार्यो के दावों प्रमाणित करते हुए पदोन्नति दिलवा दी। डील में व् डी आर डी ओ जितने भी वरिष्ठ वैज्ञानिको की वरिष्ठता को श्री आर के अग्रवाल ने लांघा वह सब वैज्ञानिक हर तरह से शिक्षा से लेकर कार्य क्षेत्र सभी में बहुत ज्यादा बेहतर है। श्री आर सी अग्रवाल ने डी आर डी ओ के उच्चतम पद साइंटिस्ट ‘एच’ जैसे पद में देश हित को छोड़ भाई भतीजावाद को बढ़ावा दिया। (फ़र्ज़ी कार्यो के दावों की छायाप्रति)
- दूसरा बड़ा जागीरदारवाला काम श्री जगदीश कुमार तकनीकी अधिकारी ‘सी’ के सन्दर्भ में श्री अविनाश चन्दर, वैज्ञानिक सलाहकार, डी जी, डी आर डी ओ के 12 मार्च 2014 के आदेश की आज तक खुली अवेहलना कर रखी है। पत्र में श्री आर सी अग्रवाल को यह गया था कि पत्र में श्री आर सी अग्रवाल को यह दिशा निर्देश दिया गया था कि श्री जगदीश कुमार को यह आश्वासन दिया जाय कि उनके साथ जाति गत भेद भाव नहीं किया जायेगा परन्तु जागीरदार साहिब ने आज तक डी जी, डी आर डी ओ के पत्र को कोई तवज्जो नहीं दी। कारण फिर स्पष्ट है की जाति गत भेद भाव का घिर्णीत कार्य किसी और ने नहीं उनके परम प्रिय अग्रवाल बंधू श्री आर के अग्रवाल ने ही किया था। अतः श्री आर सी अग्रवाल का जागीरदार वाला अहम उनको किसी कमजोर वर्ग जाति के प्रति सदभावना जताने से रोकता है। (12 मार्च 2014 के आदेश की छायाप्रति)
- तीसरा जागीरदारी का उदाहरण श्री महाकर सिंह को साइंटिस्ट ‘जी’ की पदोन्नति दिलाने में भारत सरकार के सारी नियमावली को दरकिनार कर दी. श्री महाकर सिंह ने सन 2004 में तत्कालीन निदेशक को खुस करने के लिए एक तकनीकी अधिकारी श्री एम आर गुप्ता के साथ मारपीट करी और उस घटना का को इस्तेमाल कर तत्कालीन निदेशक श्री अशोक सेन ने श्री वाई पी सहगल साइंटिस्ट ‘जी’ से मिलकर श्री एम आर गुप्ता की वार्षिक रिपोर्ट ख़राब कर उनका भविष्य से खिलवाड़ किया। श्री आर सी अग्रवाल द्वारा अपनी जागीरदारी के घमंड के दम पर श्री महाकर सिंह के खिलाफ चल रहे कोर्ट केसेस की उपेक्षा करते हुए नियम विरुद्ध श्री महाकर सिंह को सभी प्रकार की विजिलेंस क्लेरेंस दे दी और श्री एम आर गुप्ता विरुद्ध चल रहे षड्यंत्र में शामिल हो गए। सन 2014 में श्री महाकर सिंह जी ने देहरादून की अदालत में सेशन जज के सामने श्री एम आर गुप्ता से बिना शर्त लिखित माफ़ी मांग कर अपने को जेल जाने से बचाया। (माफीनामा की छायाप्रति)
- यह एक डी आर डी ओ की जागीरदारों के चरम उदाहरणों की तो एक बानगी भर है। ऐसे दर्ज़नो उदहारण डी आर डी ओ के 52 लैबो में बिखरे पड़े है। डी आर डी ओ मुख्यालयों में तो सिर्फ और सिर्फ बड़ी बड़ी खरीदारियों पर मंत्रणा चलती रहती कि किस तरह देश को पोलटिशियनो को ब्यूरोक्रेट्स को उल्लू बनाया जाय।
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